बचपन
वो कागज़ की कश्ती, वो बचपन की मस्ती वो सैर-सपाटा गलियों में
आज भी जब याद आती है, मन घूम ही आता है गुप-चुप गाँव की गलियों में
वो नादानियां, वो शैतानिया, वो मनमर्ज़िया बचपन की
ढूंढ़ने से भी कहाँ मिलती...
आज भी जब याद आती है, मन घूम ही आता है गुप-चुप गाँव की गलियों में
वो नादानियां, वो शैतानिया, वो मनमर्ज़िया बचपन की
ढूंढ़ने से भी कहाँ मिलती...