main kavita kyun likhta hoon
मैं कविता क्यों लिखता हूँ?
जिन रिश्तों को हम अटूट बोलते हैं,
वो कसम खाकर भी झूठ बोलते हैं,
उन्हें शायद मैं बेवकूफ दिखता हूँ,
इसलिए मैं कविता लिखता हूँ।
मैं कविता क्यों लिखता हूँ?
सूरत पर नहीं मैं अच्छाई पे मरता हूँ,
यक़ीन झूठों की सच्चाई पे करता हूँ,...
जिन रिश्तों को हम अटूट बोलते हैं,
वो कसम खाकर भी झूठ बोलते हैं,
उन्हें शायद मैं बेवकूफ दिखता हूँ,
इसलिए मैं कविता लिखता हूँ।
मैं कविता क्यों लिखता हूँ?
सूरत पर नहीं मैं अच्छाई पे मरता हूँ,
यक़ीन झूठों की सच्चाई पे करता हूँ,...