...

5 views

मजहब़ की राजनीति
तोड़कर तुम हमें मजहब़ के नाम पर ।
कुछ इस तरह मुस्कुराते हो, जैसे संसद में बैठ देश को बाँटने की रणनीति तुम बनाते हो।
पढे़ लिखे अनपढो़ को लडा़कर तुम घर में बैठ तमाशे देख ताली बजाते हो।
जो तेरे साथ खडा़ हुआ उसे देशभक्त और जो ना हुआ उसे देशद्रोही बताते हो।
थक गया है देश मजहब़ के नाम पर लड़ते - लड़ते और मजहब़ मात्र की राजनीति करते - करते ।
सर्व धर्म संपन्न देश में मजहब़ की राजनीति शोभा नहीं देती।
अखंड भारत का सपना ऐसे मुमकिन हुआ नहीं करती।