गज़ल
उससे मिलने की जुस्तजू करते
उम्र गुज़रे यह आरज़ू करते
बात करते ना यूं सर ए महफ़िल
आँखों आँखों में गुफ्तगू करते
चाक होना था दामन ए दिल को
हम कहाँ कहाँ भला रफू करते
वक़्त ए रुखसत नमाज़ ए आखिर भी
लोग रह जाएंगे वजू करते
ज़िन्दगी तो गुज़र ही जानी है
तुम को तुम और तू को तू करते
© Ahmed Shahbaz احمد شہباز
उम्र गुज़रे यह आरज़ू करते
बात करते ना यूं सर ए महफ़िल
आँखों आँखों में गुफ्तगू करते
चाक होना था दामन ए दिल को
हम कहाँ कहाँ भला रफू करते
वक़्त ए रुखसत नमाज़ ए आखिर भी
लोग रह जाएंगे वजू करते
ज़िन्दगी तो गुज़र ही जानी है
तुम को तुम और तू को तू करते
© Ahmed Shahbaz احمد شہباز