...

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कीरत वाला कोट अवनी पर रहसी अचल
जस पायो जगरूप, दीनी भूमि दान में।
सिरे साहू समरूप, हुयो न कोई होयसी।।
सूंप दीवि सुखराम, सकूल बनाई सीनियर।
ज्योति विद्या जगाय, दान बड़ो दानेसरा।।
साहू बनजी छाप, छोड़ी सकल समाज में।
अटल रखाई आप, धर्म विद्यालय दे धरा।।
देणों जग दोरो दान, सोरी वाता सांतरी।
मही रो दान महान, धिन साहू सूंपी धरा।।
पितु रो पुन में पांव, हर्षित बेटो हरभजो।
साहू विरखां...