...

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अगर सामने तुम आये न होते!
#अगर_सामने_तुम_आये_न_होते,
हमें देख कर मुस्कुराये न होते!

सितम हमने खुद पर यूँ ढ़ाये न होते,
अगर जानां तुम यूँ पराये न होते!

कहने को बहुत बातें कहनी थी तुमसे,
अगर वक़्त ने पेहरे बिठाये न होते!

अभी साथ लेकर चले जाते तुमको,
अगर दस्तूर ज़माने ने बनाये न होते!

नहीं आओगे तुम; गर बता देते हमको,
यूँ रातों को खुद को जगाये न होते!

मर जाते जानां घुट घुट के हम तो,
अगर हाल-ऐ-दिल तमको सुनाये न होते!

अगर सामने तुम आये न होते,
सितम हमने खुद पर यूँ ढ़ाये न होते!
© alfaaz-e-aas