...

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सिर्फ़ तुम
पगडंडी पर छपते तुम्हारे पैरों के निशान
पलट कर देखती तुम्हारी प्यारी मुस्कान
तुम्हारी मौजूदगी के अहसास मात्र से
इठलाते खेत खलिहान तृण और धान

जहां जहां तुम जाती हो
मुस्कान वहाँ बिखेरती हो
सहजता से तुम हर जगह
उपस्थिति अपनी दर्शाती हो

उद्यान वन नदी समंदर प्रकृति
हर ओर दिखाई देती आकृति
मन में वास हर पल है तुम्हारा
सिर्फ़ तुम मेरे ह्रदय में बसती



© ख़यालों में रमता जोगी