पीछे मुड़कर देखती हूँ
पीछे मुड़कर देखती हूँ
सिर्फ खुशियाँ नज़र आती है
नही था तब कोई अन्धेरा
सिर्फ उजाला ही उजाला था
चहाती हूँ कोई धक्का दे
और गिर जाऊँ उस वक़्त मे
वो लोग जो मेरे अपने थे
अब पराए हो चूकें हैं
नही रह सकते थे जिनके बिना
अब सालो हो गए उनसे बात किए बिना
सोचती हूँ अब...
सिर्फ खुशियाँ नज़र आती है
नही था तब कोई अन्धेरा
सिर्फ उजाला ही उजाला था
चहाती हूँ कोई धक्का दे
और गिर जाऊँ उस वक़्त मे
वो लोग जो मेरे अपने थे
अब पराए हो चूकें हैं
नही रह सकते थे जिनके बिना
अब सालो हो गए उनसे बात किए बिना
सोचती हूँ अब...