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पुलवामा के जाँबाज
नीर बादलों का भी जोरदार बहा होगा
जब ये खबर पूरे ब्रह्मांड में चला होगा
धरती भी थरथरायी होगी उन आवाजों से
जब जवानों की शहादत का खबर मिला होगा।

माँ की ममता राहें ढूंढ रही थी अपने वीर का
आँखों में इक लौ जली थी उसके जमीर का
लौट रहा है उसका बेटा एक माँ से दूसरे माँ की गोद में
सन्न रह गयी माई जब शहादत देखी अपने वीर का

बहन की राखी ढूंढ रही थी न जाने कब से कलाई
झट से बांधेगी राखी मानो वर्षों से हो अकुलाई
चौखट पर खड़ी राह की बाट में उसकी भी पलकें भीगेंगी
जब घर आएगा भईया तब सूनी हो जाएगी कलाई।

पिता की तबियत जब एकदम से कौंधेगी
खबर मिलेगी बेटे के आने की तब आँखें चौंकेगी
छाती घमण्ड करेगी बाप की गौरवशाली वीर सपूत पर
कैसे कंधा देगा पिता जब शहादत की खबर फूटेगी।

फौजी भाई के आने की खबर जब अनुज को होगी
राहें चार करेगा वो जब मिलन की बेला होगी
मन हिलोरे सा गर्व करता है वो जब भाई फौजी का कहलाता है
कैसे संभलेगा सपरिवार जब भाई से भाई की राहें जुदा होगी।

जीवनसंगिनी भी झूमेगी जब पिया के बाहों से मिलेगी
बांधेगी मन्नत के धागे और खुशी से आंखें भिगोयेगी
सजेगी वो सोलह श्रृंगार में अपने भगवान के लिए
टूटेगी हाथों की चूड़ियां जब ,न जाने कैसे वो मांग की सिंदूर धोएगी।

बाग-बगीचा सब गुलजार रहते थे यारों के साथ
एक दोस्त मिलता था जब एक दोस्त के साथ
न जाने कितने खेल त्योहार दोस्तों के साथ बीता है
याद रह जाएंगी जहन में अब छूटा है साथ।

देश की माटी भी रोई होगी पुलवामा के वीरों के वीरता पे
फक्र भी करेगी देश की माटी जब मिलेगी अपने वीरो से
माँ भारती से लिपट सो गया है चैन की नींद अपने माँ के आँचल
तिरंगा भी खूब गर्वान्वित हुवा उन शहीद हुवे देश के रखवालों से

.......सौरभ तिवारी