...

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कौन पकड़ पाया मन को
मन मतवाला,किसकी सुनता
बेपर है पर जगभर उड़ता
पतझड़ में ढूँढे सावन को
कौन पकड़ पाया मन को

आस अधूरी, प्यास अधूरी
पाट सका है कौन ये दूरी
भागे,कभी धन,कभी चितवन को
कौन पकड़ पाया मन को

जग जीत लिया,मन से हारा
सबकुछ है फिर भी बेचारा
नहीं मिटा सका इस तड़पन को
कौन पकड़ पाया मन को
© बदनाम कलमकार
#वरुणपाश