...

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लड़की होना पाप नहीं है
खानदान की इज्ज़त लड़की,
हर घर की है रौनक लड़की।

पर जब लड़की पैदा होती,
तो क्यों मातम सा छा जाता है।

लोगों का चेहरा ऐसे क्यों कुम्हला जाता है,
जैसे एक बोझ हो लड़की।

सुनो दुनियावालों लड़की अब बोझ नहीं है,
चांद तक वह भी पहुंच रही है।

दहेज मांगने वालों को भी,
अब गहरी चपत लगाती लड़की।

पढ़-लिख कर विद्वान बनी है,
अब वह किसी की मोहताज नहीं है।

हर प्रतिस्पर्धा में भाग है लेती,
आगे ही आगे बढ़ती जाती।

लड़का तो एक ही वंश का नाम है रोशन करता,
पर दो वंशों का नाम चमकाती है लड़की।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी तो एक लड़की थी,
जिसने अंग्रेज़ो को अकेले ही धूल चटाई थी।

जब तुम दुर्गा के नौ रूपों की पूजा हो करते,
तो कन्या भ्रूण हत्या जैसा पाप क्यों हो करते।

मानों मेरा कहना लड़की होना पाप नहीं है,
सच तो ये है कि लड़की के बिना कोई परिवार नहीं है।


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