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ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
भूलना कहाँ आसान है अपनों को ,
जो दिल में बसे हों उन सपनों को।

वो हंसी, वो लम्हें, वो यादें पुरानी,
जैसे बारिश की बूंदें और मिट्टी की कहानी।
हर शब्द, हर ध्वनि, हर छवि उनकी,
जैसे धड़कनों में बसी हो कोई धुन सुहानी।

भूलना है कहाँ आसान उन चेहरों को, ...