रोती हूँ मैं अभागन
221 / 2122 / 221 / 2122
दो पल की ज़िन्दगी है हर साँस पे है पहरा
किसको बताये आख़िर है ज़ख्म कितना गहरा
सूना है मन का आँगन रोती हूँ मैं अभागन
मज़बूर हो गयी हूँ कैसा है प्रीत बंधन
वन वन भटक रही...
दो पल की ज़िन्दगी है हर साँस पे है पहरा
किसको बताये आख़िर है ज़ख्म कितना गहरा
सूना है मन का आँगन रोती हूँ मैं अभागन
मज़बूर हो गयी हूँ कैसा है प्रीत बंधन
वन वन भटक रही...