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Dil Ki Maasumiyat
ये दिल आज कल कुछ् बेचैन सा रहता है,
ना जाने किन सवालों के जवाब ढूढ़ता है।
तन्हाई भरी इन लम्बी रातों में,
आज भी दर्द में तड़पते हुये रोता हैं।
कईं दफा समझाया इस दिल को,
की सारे जज़्बात भुला कर पथर बन जा।
इस मत्लबी दुनियाँ के रंग में घुल कर,
तु भी थोड़ा बेपरवाह बन जा।
पर यह नासमझ से दिल को,
कहाँ समझ् आती है इस दुनियाँ के खेल।
यह तो मासूम है,
मासूमियत ही इसकी पहचान हैं।
© All Rights Reserved
ना जाने किन सवालों के जवाब ढूढ़ता है।
तन्हाई भरी इन लम्बी रातों में,
आज भी दर्द में तड़पते हुये रोता हैं।
कईं दफा समझाया इस दिल को,
की सारे जज़्बात भुला कर पथर बन जा।
इस मत्लबी दुनियाँ के रंग में घुल कर,
तु भी थोड़ा बेपरवाह बन जा।
पर यह नासमझ से दिल को,
कहाँ समझ् आती है इस दुनियाँ के खेल।
यह तो मासूम है,
मासूमियत ही इसकी पहचान हैं।
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