...

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कोरोना कहीं गया नहीं है...
मेरे अल्फाज आज रुके हुए थे...
जब मैं वह दृश्य को देखकर लौट रही थी...
दिल में कोई डर बसा हुआ था,जो कल तक नहीं था..
कुछ ऐसा दृश्य की धड़कन रुक गई, और सांस मेरी थम गई!
कल मैं अपनी सहेलियों के साथ अपने जन्मदिन की खुशी मनाने होटल में खाना खाने गई थी.
कोरोना का डर लॉकडाउन के बाद मन से निकल गया था!
जन-जीवन सामान्य हो गया था.
अचानक से इस कोरोना ने वापस से दस्तक ली!
और इस बार वह और तेजी से फैल रहा था।
श्याम को मैं जब घर का कुछ सामान लेकर घर वापस जा रही थी, तब उसी रास्ते में एक अस्पताल से मैं गुजर रही थी!
अचानक से मुझे मेरे कानों में किसी के रोने की आवाज सुनाई दी.
वह आवाज कोई दो लड़कीयों और एक लड़के की थी.
वह रोते-रोते बोल रही थी कि, कोरोना ने हमारी मां-पापा को हमसे छीन लिया!
इतना खर्चा किया फिर भी वह नहीं बचे।
डॉक्टर ने ठीक से इलाज ही नहीं किया, मेरी मां ऑक्सीजन के बिना तड़प रही थी।
लेकिन डॉक्टर ने उनको सही समय पर ऑक्सीजन नहीं दिया;अब हम क्या करेंगे?
बड़ी लड़की रोते रोते बोल रही थी, मैं कैसे अपने भाई-बहन को संभालूंगी, अब हमारा कोई नहीं है।
वहां दूसरी और मुझे एक और औरत की रोने की आवाज आई!
वह अपने पति के लिए रो रही थी.
यह दृश्य देखकर मैं एकदम से डरी हुई थी।
कल जब मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर गई थी, तब हम सरकार को दोष दे रहे थे, कि यह सरकार बार-बार सब बंद कर देती है;
और क्या कुछ बोल रहे थे, और उनका मजाक भी बना रहे थे!
पर आज जब यह दृश्य देखा तो मैं अपने आप को दोष दे रही थी.
बात सिर्फ इतनी है कि, हमें दूसरों को दोष देने से अच्छा है, हम खुद अपना ध्यान रखें.
जब तक जरूरी ना हो घर से बाहर ना निकले.
तभी हम अपने आपकों और अपनों को इस कालमुखी कोरोना से बचा सकते हैं।
याद रखें कोरोना कहीं गया नहीं है.वह हमारे बीच में ही है.
स्वस्थ रहिए सुरक्षित रहिए🙏🙏
© sweta singh