6 views
मेरा वजूद
मैं फरेबी दुनिया से थक कर जब सुकून तलाशने निकलता हूँ,
तब मैं खुद के अंदर भी एक नकली 'मैं' से मिलता हूँ।
खुद से कुछ बेतुकी बहस करने के बाद जब मैं रुकता हूँ,
तब 'मैं कौन हूँ' खुद से यही पूछता हूँ।
फिर पता चला मैं असफलताओं और अधूरें सपनो का समूह हूँ,
मैं तो सिर्फ इक तन और मन के साथ इक बेचैन रूह हूँ।
अब मुझ में तनिक भी घमंड का वास न था,
क्योंकि अब मुझे इस भौतिक दुनिया पर विश्वास न था।
मुझे अब मेरा वजूद पता चल गया था,
मेरी सारी अकड़ का जनाजा निकल गया था।
~अमन
तब मैं खुद के अंदर भी एक नकली 'मैं' से मिलता हूँ।
खुद से कुछ बेतुकी बहस करने के बाद जब मैं रुकता हूँ,
तब 'मैं कौन हूँ' खुद से यही पूछता हूँ।
फिर पता चला मैं असफलताओं और अधूरें सपनो का समूह हूँ,
मैं तो सिर्फ इक तन और मन के साथ इक बेचैन रूह हूँ।
अब मुझ में तनिक भी घमंड का वास न था,
क्योंकि अब मुझे इस भौतिक दुनिया पर विश्वास न था।
मुझे अब मेरा वजूद पता चल गया था,
मेरी सारी अकड़ का जनाजा निकल गया था।
~अमन
Related Stories
17 Likes
0
Comments
17 Likes
0
Comments