...

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आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है... ❤️❣️❤️
धूप हो या छाँव हो,
लगती कभी जब घाव हो,
वो एक नाम ज़ुबाँ पर मेरी आ ही जाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||

दुनिया मुझे जब छोड़ दे,
मेरे पंख कोई तोड़ दे,
तेरी दुआओं का असर फ़िर रंग लाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||

तू ज़िंदगी तू बंदगी,
तू चैन है तू देवता,
जिन शब्दों से नवाज़ूं वो भी हार जाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||

हारा हूँ मैं ख़ुद से अभी,
जाऊँ कहाँ मुझको बता,
तेरी पनाहों में ही मुझको चैन आता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है...

© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞