...

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मैं
मैंने,
दो प्रेमियों का प्यार लिखा
मन आघात कई बार लिखा
विरह का उदगार लिखा
कविताओं का अंबार लिखा

परजन से संयोग लिखा
अपनों का अभियोग लिखा
सुख व दुःख का भोग लिखा
माँ-बाप का कर्मयोग लिखा

मैं,
इक छोटी सी आस लिखूँ
मन में ईश का वास लिखूँ
जीत की पहली प्यास लिखूँ
या हार सोच-सोच त्रास लिखूँ

जीवन के सारे रंग लिखूँ
मृत्यु से जीती जंग लिखूँ
लेखनी और मेरा संग लिखूँ
पर कभी-कभी बेढंग लिखूँ

मैं,
अंदर की आवाज़ लिखूँगी
छुपे हुए कई राज़ लिखूँगी
अपने सारे अंदाज़ लिखूँगी
जीवन का नया आगाज़ लिखूँगी

खुशियों का आसमान लिखूँगी
स्त्री का सम्मान लिखूँगी
सम्पूर्ण अंतर्निहित ज्ञान लिखूँगी
और अपनी पहचान लिखूँगी

-Ruby

(मेरी पुरानी कविताओं में से एक)

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© Ruby