...

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बाण नहीं अर्जुन का तुम...
बाण नहीं अर्जुन का तुम जो
हर बार नेत्र संधान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
जीत वृहद है मायने अनंत
मृत्यु सत्य भी है जीवंत
केवल प्राप्त नहीं है विजय घोषणा
कुछ खोना भी जीत समान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
अमृत...