बाण नहीं अर्जुन का तुम...
बाण नहीं अर्जुन का तुम जो
हर बार नेत्र संधान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
जीत वृहद है मायने अनंत
मृत्यु सत्य भी है जीवंत
केवल प्राप्त नहीं है विजय घोषणा
कुछ खोना भी जीत समान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
अमृत प्याले बांट रहे विष
कायरता पसरी है चहुदिस
कोई किरण ना कोई सवेरा
मन के अंदर घना अंधेरा
है त्रुटियों से भरी ये दुनिया
तुम हौसले अपने आसमान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
मिट्टी की मिटती काया देखो
रोती रावण की माया देखो
अंधस्वार्थ की दोपहरी में
साथ छोड़ते साया देखो
ये भौतिक जग मिट जाना एक दिन
जो मिटे ना चरित्र निर्माण करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
© samrat rajput
हर बार नेत्र संधान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
जीत वृहद है मायने अनंत
मृत्यु सत्य भी है जीवंत
केवल प्राप्त नहीं है विजय घोषणा
कुछ खोना भी जीत समान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
अमृत प्याले बांट रहे विष
कायरता पसरी है चहुदिस
कोई किरण ना कोई सवेरा
मन के अंदर घना अंधेरा
है त्रुटियों से भरी ये दुनिया
तुम हौसले अपने आसमान करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
मिट्टी की मिटती काया देखो
रोती रावण की माया देखो
अंधस्वार्थ की दोपहरी में
साथ छोड़ते साया देखो
ये भौतिक जग मिट जाना एक दिन
जो मिटे ना चरित्र निर्माण करो
धीरे धीरे धैर्य पूर्वक ओर लक्ष्य प्रस्थान करो
© samrat rajput