...

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आता हूँ तेरे द्वारे
आता हूँ तेरे द्वारे, एक आस निहारे,
शरण में ले,लेअपने शरणागत प्यारे,
कर्म, अकर्म का ज्ञान नहीं,
उचित, अनुचित का ध्यान नहीं,
छल, कपट का पहचान नहीं,
पूर्ण रूप, सेअज्ञान से भरा हुआ हूँ,
मुझको कुछ भी ज्ञात नहीं,
हाथ में लिए पुष्प की थाली,
आँखों में होती अश्रुवर्षा,
पथ भी मिलते कभी -कभी कंटको से भरे,
गिर- गिरकर उठता हूँ,
फिर भी आता हूँ, एक आस निहारे।