...

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तुम आए नहीं||
मैं आज भी वही हूं,
मैं कल थी जहा।

मुझे एतबार था तुम पर,
के तुम आओगे यहां।

उन बारिश की बूंदों में,
मैं खोज रही थी तुम्हे।

तुम आए नही पता था मुझे,
तुम आओगे ये वहम था मुझे।

मैं खड़ी रही वही पर, तुम आए नही,
मुझे एतबार था तुम पर, मैं कहीं गई नही।

याद तुम्हारी आज भी आती है,
रो लेती हूं मैं छुप कर किसी कोने में।

दर्द तो होता है,
लेकिन कुछ सुकून भी मिलता है इस रोने में।

तुम आए नही, मैने 'लिखना' चुना,
तुम आए नही फिर भी मैंने हजारों में सिर्फ तुम्हे चुना।



© @ishq_adhura