...

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स्त्री
स्त्री

उसके होने से बची हुई है पृथ्वी
सृष्टि गरम है अनंत काल से
धरती फट सकती है उसके लिए
वह फैली होती है जीवन के रेशे-रेशे में
रक्त-मांस-मज्जा की तरह
जैसे...