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letter to my love
भीगना चाहता हूं मोहब्बत की बारिश में
जलाते क्यों तुम मुझे नफरत की आतिश में
लगता है सूरज भी मेरा राख होने लगे
जबसे तुम मुझसे दूर जाने लगे
किराये पे नहीं
सदा रहो मेरे दिल के कमरे में
खाली मत करो हम बर्बाद हो जाएंगे
हक़ है तुमको मेरा नजरअंदाज करना
मगर हम तौहीन सहन नहीं कर पायेंगे
मिलती नहीं है दिल-दर्द की इलाज किसी दवा-ख़ाना में
मरम्मत तो करना होगा अब दिल मेरा शराब-ख़ाना में
© prashanth K
जलाते क्यों तुम मुझे नफरत की आतिश में
लगता है सूरज भी मेरा राख होने लगे
जबसे तुम मुझसे दूर जाने लगे
किराये पे नहीं
सदा रहो मेरे दिल के कमरे में
खाली मत करो हम बर्बाद हो जाएंगे
हक़ है तुमको मेरा नजरअंदाज करना
मगर हम तौहीन सहन नहीं कर पायेंगे
मिलती नहीं है दिल-दर्द की इलाज किसी दवा-ख़ाना में
मरम्मत तो करना होगा अब दिल मेरा शराब-ख़ाना में
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