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कमाल हो जाये
दफे शाम कोई कमाल हो जाये,
नजर नज़र से मिले तो बवाल हो जाये।
ख़ुदा की नेमत बसी है जर्रे जर्रे में,
मगर तू ख़ास क्यों उससे सवाल हो जाये।
झुके वो चांद भी एक मरतवा जो हंस दे तू,
सुर्ख हो बसर काजल से कमाल हो जाये।
चूड़ी बिंदी झुमके पहन जो निकले तू,
जलवा यूं हर हुश्न को तुझसे मलाल हो जाये।
नजर तिरछे अगर जो देख ले तू बंदो को,
तेरे रुप से उनपर जलाल हो जाये।
तू जो कह दे तो चांद सूरज क्या,
हर लड़का तेरे खातिर हलाल हो जाये।।
अरुण
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