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सफर है जीवन का एक
सफर है जीवन का
सफर में कई राह हैं।
हर राह में कई राही हैं
हर राही की अपनी अपनी मंजिल है।
हर एक का अपना-अपना रास्ता हैं
कहां किसी को यहां
किसी से सच्चा वास्ता है।
अपनी शिक्षा, सोच और संस्कार
से सभी आगे बढ़ते हैं।
खुद के सामने कहां किसी को
कोई सच समझते हैं।
परिणाम
सही होने और सही करने में
इसलिए कई बार टूटता हूं
कई बार जुड़ता हूं
कई बार खुद को जबरन जोड़ता हूं
बस इसी उम्मीद के साथ
कि आज नहीं तो कल
सच का अहसास होगा
नहीं फिर ईमान का उपहास होगा।
- डॉ.जगदीश राव
© All Rights Reserved
सफर में कई राह हैं।
हर राह में कई राही हैं
हर राही की अपनी अपनी मंजिल है।
हर एक का अपना-अपना रास्ता हैं
कहां किसी को यहां
किसी से सच्चा वास्ता है।
अपनी शिक्षा, सोच और संस्कार
से सभी आगे बढ़ते हैं।
खुद के सामने कहां किसी को
कोई सच समझते हैं।
परिणाम
सही होने और सही करने में
इसलिए कई बार टूटता हूं
कई बार जुड़ता हूं
कई बार खुद को जबरन जोड़ता हूं
बस इसी उम्मीद के साथ
कि आज नहीं तो कल
सच का अहसास होगा
नहीं फिर ईमान का उपहास होगा।
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