...

2 views

यादें बसंत की
यादें बसंत की

अब ये बसंत भी कब और
कैसे आया पाता ही ना चला
कभी एहसास हुआ करता था
भाव बिभोर किया करता था
वो हरियाली की चमक
पौधों पर नवकुसुम का आगमन
कभी डाली पर कोयल की कूक गूंजा करती थी
मस्त हवाओ के झोकों से
तन मन में हलचल हुआ करती थी
प्रकृति का मधुर संगीत
सबके मन को भाता था
जब मौसम बसंत का आता था