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हमारे महाकाल हैं।
कालरूप्राख्यो है देवाधिदेव महेश्वरं
त्रिलोक स्वामी कहते हैं त्रेलोक्यस्य देवता
सनातनी ब्रह्मा च हैं निजात्मरुपम्
निरञ्जनं, निराभासं हमारे भोलेनाथ हैं।

जटाजुतधार्यो हैं विश्वेश्वरं
ब्राह्मविष्णुनाथ: कहते हैं मधुरिपवे
सर्वं दु:खनाशक: च निर्विकारं निरामयम्
ज्ञप्तिमात्रस्वरूपं हमारे शम्भूनाथ हैं ।

शशिशेखरायो है विष्णुवल्लभाय
सर्वंरूप , वरस्वरूपं कहते हैं वीणाधराय:
किञ्चिद्दलेन सन्तुष्ट: और लाभप्रदापि
महाभाग्यकरो नृणामिह हमारे रूद्राय हैं।

कृत्तिवासधार्यो है कालकालाय
व्यालप्रिय,व्योमरूप कहते हैं दक्षाय
गुरू,देव, बन्धु और है आत्मा
शिवदन्यत्र किञ्चन बस हमारे शिवाय हैं।



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© Shreya tiwari