आगे क्या होगा
जो राख हो गया है, वो और क्या जलेगा,
जो ख़ाक बन गया है, वो और क्या मिलेगा.
वो भी कभी था पानी, तिल-तिल तरावटों का,
अब भाप बन गया जो, वो और क्या उड़ेगा.
जब तक रगों में था, तो हर बूंद में अज़ीज़,
जब बह गया ज़मीं पे, तो और क्या बहेगा.
...
जो ख़ाक बन गया है, वो और क्या मिलेगा.
वो भी कभी था पानी, तिल-तिल तरावटों का,
अब भाप बन गया जो, वो और क्या उड़ेगा.
जब तक रगों में था, तो हर बूंद में अज़ीज़,
जब बह गया ज़मीं पे, तो और क्या बहेगा.
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