...

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मंजिल पथ
मंजिल को ढूंढते इतने दूर निकल गए,
पता नही चला हम खुदको भूल गए,
आज नही है वो जो हम हुआ करते थे,
बनने निकल पढ़े है जिसकी दुआ करते थे।

सफर ये मंजिल का लंबा होगा ये तो तय है,
पर रास्ते मे क्या होगा खोना उसका भय है,
कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो तय है,
बिन खोये कुछ पाने मे वो बात नही तय है।


© nikita