...

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दिल~
दिल, ये भी कितना अजीब है ना
कभी हस्ता है, कभी रोता है |
कभी अपनों से ही ख़फ़ा हो जाता है|

ना अंजाने मे भी प्यार कर लेता है, पर यहीं किसी का होने से डरता है |
ऐसे ही नहीं बोलते सब की दिल की दास्तान अधूरी रह जाती है |
जब किसी पर गुजरती है ना तो अक्ल थोरी देर मे अत्ति है |

ये दिल जिदद कर सकता तो बहुत है |
पर खुद के जिदद के आगे ही डर जाता है |

दिल, ये भी कितना अजीब है ना
कभी हस्ता है, कभी रोता है |



© Anu