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Love with Lust by MoonsFeeling
हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ मैं
कल रात बेशर्मी के बैठा
वो रात मेरे सामने बैठी थी
और मै हद से गुजर बैठा

जुल्फें, उसकी आंखों पर थी
काजल उसका गहरा था,
चेहरा उसका रंग बादामी,
होठ उसके मखन जैसे
मेरा रोम रोम उस वक़्त मचला था

हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ मैं
कल रात बेशर्मी के बैठा
वो रात मेरे सामने बैठी थी
और मै हद से गुजर बैठा

पलके झापकते हुए उसने मेरी ओर देखा
मै भी बेशर्म उसकी ओर देखता गया
शायद वो भी मेरी बाहों...