...

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ड़ोर
जीवन इक़ ड़ोर ही तो है
रंग-बिरंगे ख़्वाबों से सजी,

रिश्तों की.. एहसासों की
ख्वाइशों की औऱ..
औऱ प्रेम की ड़ोर,

मोहः के बंधन में पिरोई एक ख़ूबसूरत सी माला,

इसका कोई मोती रूठे तो आँसु
टूटे तो आँसु.. छुटे तो आँसु,
मुस्कुराहट तो बस इसके छोर पे लगी गाँठ पे टिकी है,
गांठ...