...

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पैमाना
हमें कुछ इस तरह वो परेशान करते हैं
वो दूर रह कर भी इश्क़ बेइंतेः करते है!

हम सरे महफिल उनका ज़िक्र करते हैं
लोग वाह वाह कह हमारी मोहब्बत पे वफा करते है!

करते है वो इज़हार सरे राह मुसस्सल
हर रोज वो हमसे नया इश्क करते है!

यही कातिल यही इश्क़ यही रासुका
वो हर रोज़ बहाना एक नया करते है!

हर बात में हम ज़िक्र उनका ही करते है
वो हर रोज कोई नया फसाना बुनते है!

प्यार भी करते है तो शिद्दत से गले लगा कर
क्या खूफ नफा नुकसान वो हमारा करते है!

हम बातों ही बातों मे अपने दिल का हाल कहते है
कुछ इस तरह एक दूसरे से हम बेइंतेह प्यार करते है!