नसीब
मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।
दिल अमीर था मगर मुकद्दर गरीब था,
मिलकर बिछड़ना तो हमारा नसीब था,
हम चाह कर भी कुछ कर न सके,
घर जलता रहा और समंदर करीब था।
अगर यकीन होता कि कहने से रुक जायेंगे,
तो हम भी हँस कर उनको पुकार लेते,
मगर नसीब को मेरे ये मंजूर नहीं था,
कि हम भी दो पल खुशी के गुजार लेते।
© rahulchopra1120
#rahulchopra1120
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।
दिल अमीर था मगर मुकद्दर गरीब था,
मिलकर बिछड़ना तो हमारा नसीब था,
हम चाह कर भी कुछ कर न सके,
घर जलता रहा और समंदर करीब था।
अगर यकीन होता कि कहने से रुक जायेंगे,
तो हम भी हँस कर उनको पुकार लेते,
मगर नसीब को मेरे ये मंजूर नहीं था,
कि हम भी दो पल खुशी के गुजार लेते।
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