...

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आँसू बहाये चलता हूँ
याद आती है तो आँसू बहाये चलता हूँ
सारे अरमानों को दिल में दबाये चलता हूँ

मैं जो हँसता हूँ समझते हैं ग़म नहीं मुझको
अपने ग़म सारे तबस्सुम में छिपाये चलता हूँ

जिसने देखा वो दिवाना मुझे कहने लगा
इश्क़ में ख़ुद को मैं इतना गिराये चलता हूँ

देखना तेरे सिवा और को गँवारा नहीं
इसलिए आँखों को अपनी झुकाये चलता हूँ

तोड़ना रिश्ते फ़ितरत में नहीं हैं मेरी
उसने छोड़ा है मुझे मैं निभाये चलता हूँ

चाहता हूँ जो आगे हो ज़िंदगी बेहतर
सोचता हूँ कि उसको भुलाये चलता हूँ
© Zaigham Bharti