गौरैया
गौरैया इक दिन भोर जगी,
उसको थी ज़ोर की भूख लगी।
भोजन को भटकी इधर उधर,
कहीं एक अन्न न मिला मगर।
थक गई भूख से बेचारी,
देखी इक बाजरे की क्यारी।
बड़ी खुशी मिली खाने को चली,
मिली उसमे एक अनोखी कली।
लगी उसमे इक रंगीन छड़ी,
दिखने में थी स्वादिष्ट बड़ी।
गौरैया ने जब खाया उसे,
था स्वाद ज़रा न...
उसको थी ज़ोर की भूख लगी।
भोजन को भटकी इधर उधर,
कहीं एक अन्न न मिला मगर।
थक गई भूख से बेचारी,
देखी इक बाजरे की क्यारी।
बड़ी खुशी मिली खाने को चली,
मिली उसमे एक अनोखी कली।
लगी उसमे इक रंगीन छड़ी,
दिखने में थी स्वादिष्ट बड़ी।
गौरैया ने जब खाया उसे,
था स्वाद ज़रा न...