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खुदगर्ज़ ज़माना
खुदगर्ज़ ज़माना,
तोड़े हसरतों का आशियाना।
न उम्मीद लगाना,
पड़ेगा फिर बाद में पछताना।
देंगे हरदम ताने,
नाटकीयता चित्रण के बहाने।
सुनाकर फसाने,
करें कोशिश हरकदम फँसाने।
नये हों या पुराने,
हुनर रखिए कुछ कर दिखाने।
जश्न को मनाने,
तैयार रहिये विजयी गीत गाने।
अजब ताना बाना,
सीखिए गमों को बस छिपाना।
पीड़ में मुस्कुराना,
साध हरपल लक्ष्य पर निशाना।
© Navneet Gill
तोड़े हसरतों का आशियाना।
न उम्मीद लगाना,
पड़ेगा फिर बाद में पछताना।
देंगे हरदम ताने,
नाटकीयता चित्रण के बहाने।
सुनाकर फसाने,
करें कोशिश हरकदम फँसाने।
नये हों या पुराने,
हुनर रखिए कुछ कर दिखाने।
जश्न को मनाने,
तैयार रहिये विजयी गीत गाने।
अजब ताना बाना,
सीखिए गमों को बस छिपाना।
पीड़ में मुस्कुराना,
साध हरपल लक्ष्य पर निशाना।
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