...

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दिल का आलम
जिसको दिल से चाहा हमने..
उसने ही दिल पर वार किया..

उल्फ़त में इस दिल का आलम..
क्या बतलायें क्या हो गया..

चैन औ सुकूँन सब गवाँ दिया है..
एक उनकी चाहत में हमने..

बदले में क्या मिला है हमको..
बेरुखी, बेचैनी और तन्हाई..

कल तक हर पल बीत रहा था..
वो जिनके पहलू में हमारा..

किसी और के लिए आज वो..
नज़रें हमसे चुरा रहे हैं..
© ऊषा 'रिमझिम'