...

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शह और मात
जीवन एक, विसात शतरंज की।
खेलने वाले,
मैं और अपने मेरे,
बैठे थे आमने सामने
शह और मात का
खेल गजब था
चाहे शह हो ,चाहे मात
पर ,
हारना तो मुझे ही था।
जब शह
अपने मुझे दे रहे थे
तो मात निश्चित ही थी
पर
रिश्ते ख़ोने के डर से,
मैं शह, नहीं दे रही थी
क्योंकि,
जीत कर भी,
हार मेरी ही थी ।
जीवन एक विसात शतरंज की,
शायद ,यहां
जीत और हार का अर्थ एक ही है...
                                नीरा