...

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बैठ गए
उनसे हम दिल लगा के बैठ गए
अपना घाटा करा के बैठ गए

जिस जगह आशिक़ों की सफ थी लगी
हम उसी सफ में जा के बैठ गए

कोई अछा नहीं लगा हम को
तुम पे ही दिल लुटा के बैठ गए

उनसे मिलने की जब हुई ख्वाहिश
उसकी गलियों में जा के बैठ गए

उनसे थोड़ा सा तेज़ क्या बोले
अपना वो मुँह फुला के बैठ गए

आज एक ख्वाब देखा है मैंने
की वो पहलू में आ के बैठ गए

उसने भी हमसे बेवफाई की
हम भी उसको भुला के बैठ गए

जिस्म में रूह लौट आएगी
गर वो मय्यत पे आ के बैठ गए

क्या खबर थी कि तोड़ डालोगे
हम तुम्हें दिल थमा के बैठ गए
© ✍︎ 𝐀𝐪𝐢𝐛