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इश्क़ इंतज़ार है!
#writcoprompt
#इंतज़ार
इश्क़ इंतज़ार हैं! कुछ को नसीब ये प्यार है।
बाकियों की ज़िन्दगी इसमें तबाह-बर्बाद है।
कुछ को मिलती मंज़िल इश्क़ की,
बाकियों की किस्मत में लिखा जुदाई है।
सदियों से चली एक रीत आ रही।
करते मोहब्बत आशिक़ कई।
वादे-कसमें लेते एक-दूजे से रहने के संग।
मरने-मिटने को भी रहते तैयार,
सच्चे आशिकों की दीवानगी जब चढ़ती है परवान।
इश्क़ की दीवानगी होती इतनी
की जलने लगती हैं जहां।
इश्क़ से तौबा व आशिकों से नफ़रत,
समाज में खोखली इज़्ज़त के झूठे दिखावे,
रहते है बेगाने यहां के लोग सारे।
कुछ तो इतने बेगैरत होते,
उनको लिहाज़ इंसानियत का भी न रहता,
और करते हत्या मोहब्बत करने वालों की,
दुश्मन हो जाते है अपने भी सारे।
फ़िर गैरों की क्या ही बखान करना?
जो दिखता है वहीं तो सच माना जाता है।
झूठ बिकता,सच तमाशा करता है
इस दुनियां के बाज़ार में।
यहां के लोग फ़िर क्या समझेंगे?
प्यार में तड़प,बेचैनी,इंतज़ार व जुदाई।
यहां के वो ठेकेदार जो प्यार मोहब्बत को समझते गंदगी।
वो नहीं जान सकेंगे प्यार-मोहब्बत के इस पावन एहसास को।
इश्क़ इबादत है ख़ुदा की, इस बात को।
शिव-सती, हीर-रांझा से लैला-मजनू
सब की दास्तां-ए-इश्क़ पुरानी।
सती की अराधना हुई पूरी,
मगर रह गई इंतज़ार कितनों की अधूरी।
इश्क़ इंतज़ार; करता दिल के छली हज़ार,
फ़िर भी मुकम्मल होता नहीं ये प्यार।
रूह तक के करता कई टुकड़े, ये इश्क़ रोग है बेकार।
© The Unique Girl✨❤️
#इंतज़ार
इश्क़ इंतज़ार हैं! कुछ को नसीब ये प्यार है।
बाकियों की ज़िन्दगी इसमें तबाह-बर्बाद है।
कुछ को मिलती मंज़िल इश्क़ की,
बाकियों की किस्मत में लिखा जुदाई है।
सदियों से चली एक रीत आ रही।
करते मोहब्बत आशिक़ कई।
वादे-कसमें लेते एक-दूजे से रहने के संग।
मरने-मिटने को भी रहते तैयार,
सच्चे आशिकों की दीवानगी जब चढ़ती है परवान।
इश्क़ की दीवानगी होती इतनी
की जलने लगती हैं जहां।
इश्क़ से तौबा व आशिकों से नफ़रत,
समाज में खोखली इज़्ज़त के झूठे दिखावे,
रहते है बेगाने यहां के लोग सारे।
कुछ तो इतने बेगैरत होते,
उनको लिहाज़ इंसानियत का भी न रहता,
और करते हत्या मोहब्बत करने वालों की,
दुश्मन हो जाते है अपने भी सारे।
फ़िर गैरों की क्या ही बखान करना?
जो दिखता है वहीं तो सच माना जाता है।
झूठ बिकता,सच तमाशा करता है
इस दुनियां के बाज़ार में।
यहां के लोग फ़िर क्या समझेंगे?
प्यार में तड़प,बेचैनी,इंतज़ार व जुदाई।
यहां के वो ठेकेदार जो प्यार मोहब्बत को समझते गंदगी।
वो नहीं जान सकेंगे प्यार-मोहब्बत के इस पावन एहसास को।
इश्क़ इबादत है ख़ुदा की, इस बात को।
शिव-सती, हीर-रांझा से लैला-मजनू
सब की दास्तां-ए-इश्क़ पुरानी।
सती की अराधना हुई पूरी,
मगर रह गई इंतज़ार कितनों की अधूरी।
इश्क़ इंतज़ार; करता दिल के छली हज़ार,
फ़िर भी मुकम्मल होता नहीं ये प्यार।
रूह तक के करता कई टुकड़े, ये इश्क़ रोग है बेकार।
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