...

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बदलता हुआ बक्त
बदलते बक्त ने मुझे ऐसा बदला
की मैं खुद को ही भूल गया

भूल कर हम अपने आप को
दोखा ज़माने को देने लगे

ना याद कर अपने आप को
ज़माने को याद करने लगे

गया मैं रिल्ता हुआ ज़माने मैं
खुद ज़माने को हम् खोजने चले

बदलते बक्त ने मुझे ऐसा बदला
खुद को ना बदल कर हम
ज़माने को ही बदलने चलें

क्या बक्त था हमारा
जिसको हम खोते चलें गए

मिला करते थे साथ मैं
अब खुद को ही खोते चलें गए

© Ankur tyagi