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मैं और वो....
मैं उसके लिए चांद तारे तोड़ कर लाने से तो रहा,
हां वो ज़िद करेगी तो एक आईना लाकर दे दूंगा।
उसके कदमों में सितारों को बिछाने से तो रहा,
हां वो कहेगी तो उसके इंतज़ार में नज़रें बिछा दूंगा।
उसके लिए इस दुनिया को जन्नत बनाने से तो रहा,
हां वो चाहेगी तो उसके लिए एक घर जरूर बना दूंगा।
उसके साथ सात जन्मों की कसमें खाने से तो रहा,
हां वो रहेगी तो इस जन्म सिर्फ उसके साथ ही रहूंगा।
मैं उसके लिए ये सारी दुनिया छोड़ने से तो रहा,
हां वो बोलेगी तो उसकी छोटी सी दुनिया सजा दूंगा।
उसके लिए अब ज़मीं आसमां एक करने से तो रहा
हां वो मानेगी तो चुपचाप दूर तक उसके साथ चलूंगा।
मैं इस तरह उसकी हर चाहत को पूरा करने से तो रहा,
हां वो इजाज़त देगी तो आखरी सांस तक उसे चाहूंगा।
मैं इस तरह सिर्फ और सिर्फ उसका होने से तो रहा,
हां वो महसूस करेगी तो मैं उसकी रूह बनकर रहूंगा।
मैं उसकी ज़िन्दगी को गुलिस्तां सा बनाने से तो रहा,
हां वो मुस्कुराएगी तो उसके लिए एक गुलाब मोल ले आऊंगा।
Santoshi
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