जीवन पथ
ऐ परछाई तु सुन मत मेरा
मैं अकेला हुं तु देना साथ मेरा
मै पथिक हुं जीवन पथ का
बैठा हु पथ के पेड की परछाई में
बहुत आए पथिक इस पथ पर
कुछ बेठे मेरे पास कुछ दुर से चल दिए
बहुत आयेंगे और चले जायेंगे
वो क्यों आते हे !
अपना बनाकर चले जाते है !
क्यों वो फिर नही आते हे !
पता नहीं कहा जाती होगी यह राह...
मैं अकेला हुं तु देना साथ मेरा
मै पथिक हुं जीवन पथ का
बैठा हु पथ के पेड की परछाई में
बहुत आए पथिक इस पथ पर
कुछ बेठे मेरे पास कुछ दुर से चल दिए
बहुत आयेंगे और चले जायेंगे
वो क्यों आते हे !
अपना बनाकर चले जाते है !
क्यों वो फिर नही आते हे !
पता नहीं कहा जाती होगी यह राह...