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रात की दीवार पर
रात की दीवार पर

लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं।
नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।।

लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से।
दीवार सजाई जाग कर  जोश उमंगों से।।

किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते।
बीती कितनी राते आँसू  पोछते पोछते।।

कोई धोखा खाकर दीवार को देखता।
कोई दीवार पे सपनो के दर्शन करता।।

कोई चिंता में है तो कोई दुबिधा में है।
कोई करवट बदले कोई सुबिधा में है।।

कोई खुशी के चित्र बनाता उल्लास में।
बहाता आँसू कोई ग़मो के  लिबास में।।

रात की दीवार पे बनाता कोई जहान है।
आबाद है कोई  तो कोई  घर श्मशान है।।
लिखता कोई जीवन अपना आने वाला।
कोई मिटती  हस्ती को लेकर परेशान है।।

रात की दीवारों पर रहता यादों का पहरा।
कुछ बाते ऐसी जिनका है  मतलब गहरा।।

रात की दीवार पे हैँ यहाँ कई रंग चढ़े।
कुछ न कुछ फोटो यहाँ हैं सबके मढ़े।।

© ALOK Sharma...✍️

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