रात की दीवार पर
रात की दीवार पर
लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं।
नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।।
लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से।
दीवार सजाई जाग कर जोश उमंगों से।।
किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते।
बीती कितनी राते आँसू पोछते पोछते।।
कोई धोखा खाकर दीवार को देखता।
कोई दीवार पे सपनो के दर्शन करता।।
कोई...
लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं।
नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।।
लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से।
दीवार सजाई जाग कर जोश उमंगों से।।
किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते।
बीती कितनी राते आँसू पोछते पोछते।।
कोई धोखा खाकर दीवार को देखता।
कोई दीवार पे सपनो के दर्शन करता।।
कोई...