...

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उसकी खोज।
थक गए हैं नैन,
उनकी राह देखते देखते ।
आते जब भी वो ख्वाबों में,
फिर नहीं मिलता मन को चैन।
अब हालत है,
दीवानेपन की सी।
हर मूरत में ,
मैं ढूंढता,
शक्ल उस शख्स की।
कुछ कहे, कुछ अनकहे,
अल्फाजों की,
लगती है अब कहानी सी।
कहां होगी,कैसी होगी,
काश पाती लिख,
यह पूछ पाता,
बैठा हूं,अब भी पलकें बिछाए,
कैसे उसको मैं बतला पाता।
जल्दी मिल जाओ तुम मुझको,
हर बार भोलेनाथ से गुहार लगाता।
सुनकर मेरी करुणामय पुकार,
स्वप्न में आऐ प्रभु मेरे द्वार।
बोले,इंतजार का फल होता मीठा,
इसलिए,मानो न तुम हार।
मान उनकी बात,
आज भी मैं कर रहा इंतजार,
यकीन है मुझे,
इक दिन आएगी वो मेरे द्वार।
© mere alfaaz