...

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“बेवफा न कहना”
दिल मेरा रवाना
हुआ है तुम्हारी ओर
कुछ नहीं है साथ उसके
बस थामे है तुम्हारी डोर
कहा मैंने उससे पर
उसने मेरी एक ना मानी
कहता है उससे मिलूंगा ज़रूर
सुनाऊंगा तेरी कहानी
मैनें लाख मनाया उसे
टूटा उसका हाल दिखाया उसे
कहा उसने तू है पगली
तू ही है अब उसकी अगली
सुनो! गर वो पहुंचे तुम तक
सही सलामत उसे लौटा देना
लड़ाई करने का उसे
अब की न कोई मौका देना
जिद्दी है वो मानेगा नहीं
किससे क्या कहना है जानेगा नहीं
नादान समझकर भुला देना
उसे मुझतक पहुंचा देना
रोए गिड़गिड़ाए लाख भले
पर तुम न भूलना अपने गिले
कहेगा ये भी खुद को चीर दिखाऊं
कितनी मोहब्बत है उसे
तुझे कैसे बतलाऊँ
तुम देना उसे पागल करार
कर देना उसे वहां से फरार
सुनो! सबकुछ कह लेना
बस उसे बेवफ़ा न कहना
उसे बेवफ़ा न कहना....
© ढलती_साँझ