COFFEE
भोर सवेरा से उठे
दिन की होती है शुरुआत
ठंड भी लगती है
और कंबल से बाहर भी नही जाते हाथ
पैर निकलता नहीं एक इंच भी बाहर
ठंड को देखते घुस जाते है फिर से कंबल के अंदर
याद आती है फिर जाना है क्लास
हो चाहे कितनी भी ठंड
खुद ही निकल जाते है बाहर
पीते है गरम गरम कॉफी
और करते है दिन की शुरआत
बीतता है दिन करते अपने काम को
हो चाहे ठंडी कितनी भी लोटते है सीधा शाम को
दिन भर की होती है थकान
मन नहीं करता करने का कुछ भी काम
लगता है बस सो जाऊं और कोई न करे ज़रा भी परेशान
बात कर मम्मी पापा से कर देती हूं फोन को बंद
सोचती हूं थोड़ा थोड़ा सो लूं
फिर याद आता कि पढ़ना है
आराम करना है अभी हराम
नींद न आए मुझे थोड़ा भी
पीती हूं कॉफी और शुरू करती हूं अपना पढ़ाई लगाकर अलार्म
दिन की हो शुरुआत या हो फिर खत्म
कॉफी की आदत कहूं या नशा बिना पिए मिले न ज़रा भी चैन।।
© Aaliya
दिन की होती है शुरुआत
ठंड भी लगती है
और कंबल से बाहर भी नही जाते हाथ
पैर निकलता नहीं एक इंच भी बाहर
ठंड को देखते घुस जाते है फिर से कंबल के अंदर
याद आती है फिर जाना है क्लास
हो चाहे कितनी भी ठंड
खुद ही निकल जाते है बाहर
पीते है गरम गरम कॉफी
और करते है दिन की शुरआत
बीतता है दिन करते अपने काम को
हो चाहे ठंडी कितनी भी लोटते है सीधा शाम को
दिन भर की होती है थकान
मन नहीं करता करने का कुछ भी काम
लगता है बस सो जाऊं और कोई न करे ज़रा भी परेशान
बात कर मम्मी पापा से कर देती हूं फोन को बंद
सोचती हूं थोड़ा थोड़ा सो लूं
फिर याद आता कि पढ़ना है
आराम करना है अभी हराम
नींद न आए मुझे थोड़ा भी
पीती हूं कॉफी और शुरू करती हूं अपना पढ़ाई लगाकर अलार्म
दिन की हो शुरुआत या हो फिर खत्म
कॉफी की आदत कहूं या नशा बिना पिए मिले न ज़रा भी चैन।।
© Aaliya