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तुम समझ पाती
तुम समझ पाती तो बता पाते ,दिल की गहराइयों में तुम्हें घुमा पाते ,कुछ खुशनुमा कुछ गम भी दिखा पाते, तुम कितनी खास हो मेरे दिल की कितने पास हो समझा पाते ,वह कहती है फिक्र मत कर मेरी पर उसे क्या पता मेरे हर ज़िक्र मै फिक्र है तेरी ,वो कहती है कि गुस्सा क्यों नहीं आता तुम्हें मुझ पर ,उन्हें क्या पता गुस्से में भी फिक्र रहती है तेरी ,तुम समझ पाती तो बता पाते,
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