...

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"क्यूंकि कोई समझेगा नहीं!
अब खुद को और अंतर्मन की बातों को संभालना सीख गयीं हूँ.
"क्यूंकि कोई समझेगा नहीं!
किसी को समझने या समझाने की उम्मीद रखना मूर्खता है शायद अब,
"क्यूंकि कोई समझेगा नहीं!
लोगो को बस आप बीती ही समझ आती है ओर सामने वाला कसूरवार नजर आता है.. हर किसी की कहानी में बेचारा या बेचारी वो खुद को ही मान बैठते है..
अंततः निष्कर्ष यही निकलता है की बस सुनो सबकी क्यूंकि यही सबसे कठिन काम है... कुछ मत कहो..
"क्यूंकि कोई समझेगा नहीं!
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